भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने लैंकेस्टर विश्वविद्यालय एवं बर्मिंघम विश्वविद्यालय (यूके) तथा एनआईटी राउरकेला के सहयोग से “वैश्वीकरण, विकास, लिंग एवं नेतृत्व” विषय पर पांच दिवसीय शीतकालीन स्कूल का सफलतापूर्वक समापन किया। यह कार्यक्रम मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग, आईआईटी रुड़की में स्पार्क (शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने की योजना) तथा अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
संयोजक (परियोजना निदेशक) एवं सह-संयोजक प्रोफेसर प्रताप मोहंती (आईआईटी रुड़की), प्रोफेसर पावेल चक्रवर्ती (लैंकेस्टर विश्वविद्यालय, यूके) एवं प्रोफेसर नारायण सेठी (एनआईटी राउरकेला) हैं।
विंटर स्कूल, उद्यम विकास एवं वैश्वीकरण में लैंगिक गतिशीलता से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने के लिए प्रसिद्ध शिक्षाविदों, नीति निर्माताओं और व्यवसायियों को एक साथ लाया। कार्यक्रम की शुरुआत एक दिवसीय नीति कार्यशाला से हुई, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर कमल किशोर पंत, निदेशक, आईआईटी रुड़की एवं विशिष्ट अतिथि श्री मृत्युंजय बेहेरा, आर्थिक सलाहकार (संयुक्त सचिव), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने किया।
अपने संबोधन में, प्रो. कमल किशोर पंत ने आर्थिक विकास को गति देने में समावेशी नेतृत्व के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “आईआईटी रुड़की में, हम वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने वाले शोध और चर्चाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह विंटर स्कूल नेतृत्व और उद्यम में लैंगिक अंतर को समझने और उसे पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सतत और समावेशी विकास में योगदान देता है।”
इस कार्यक्रम में अशोका विश्वविद्यालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय एवं शिव नादर विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के साथ-साथ विश्व बैंक, गुड बिजनेस लैब्स एवं आईडब्लूडब्लूएजीई जैसे संगठनों के प्रमुख विशेषज्ञों द्वारा भी गहन विचार-विमर्श किया गया।
श्री मृत्युंजय बेहेरा ने कहा, “लैंगिक समानता सिर्फ़ नैतिक अनिवार्यता नहीं है, बल्कि आर्थिक आवश्यकता भी है। इस विंटर स्कूल में विचार-विमर्श से ऐसी व्यावहारिक अंतर्दृष्टि सामने आती है, जो नीति को प्रभावित कर सकती है और महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिकाएं निभाने के लिए सशक्त बना सकती है, जिससे संगठनात्मक और राष्ट्रीय प्रदर्शन में वृद्धि हो सकती है। सरकार इस दिशा में कई सक्रिय कदम उठा रही है।”
चर्चा में शामिल मुख्य विषयों में लैंगिक वेतन अंतर, श्रम बल भागीदारी और संगठनों में उत्पादकता, नवाचार एवं वित्तीय प्रदर्शन को बढ़ावा देने में महिला नेतृत्व की परिवर्तनकारी भूमिका शामिल रही। भारत में श्रम बल भागीदारी में महत्वपूर्ण लैंगिक असमानताओं का सामना करना पड़ रहा है – नवीनतम पीएलएफएस डेटा के अनुसार, केवल 25% महिलाएं कार्यबल में सक्रिय हैं – चर्चाओं में लैंगिक समानता प्राप्त करने के मार्गों व 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में $770 बिलियन तक जोड़ने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला गया (मैककिंसे, 2018)।
विंटर स्कूल का समापन लैंगिक असमानताओं को दूर करने और समावेशी नेतृत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सहयोगात्मक अनुसंधान एवं नीति नवाचार को बढ़ावा देने की नई प्रतिबद्धता के साथ हुआ। आईआईटी रुड़की ऐसी प्रभावशाली पहलों का नेतृत्व करना जारी रखता है, जो भारत को अधिक न्यायसंगत और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाने में योगदान देता है।