दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा 27 सालों के बाद प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई है। भाजपा ने आम आदमी पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया और कांग्रेस के अरमानों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि भाजपा ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के नाम को लेकर कोई जल्दबाजी नही दिखाई। वही मीडिया और विपक्ष के पेट में मरोड़े उठ रहे है। अपनी चुनावी हार पर मंथन करना छोड़कर आम आदमी पार्टी भाजपा से सीएम का नाम पूछने में लगी है।
नेशनल मीडिया की तो बात ही छोड़ दीजिए। पिछले 12 दिनों ने नेशनल चैनल रोजाना एक दर्जन से अधिक नामों पर मुख्यमंत्री की खबरे चला चुके है। प्राइम टाइम शो में रोज नए चेहरे को दिल्ली का मुख्यमंत्री बना रहे है। भाजपा हाईकमान के काम को मीडिया कर रहा है। नए—नए सीएम चेहरों की कुंडली खंगाल रही है। ज्योतिषों से उनका राशिफल निकलवा रही है। नेताओं के भविष्य में राजयोग तलाश रही है। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के सवालों से कोसो दूर नेशनल मीडिया भाजपा को मुख्यमंत्री के नाम सुझा रही है। कभी महिला मुख्यमंत्री का चेहरा दिखा रही है तो कभी नेताओं के पिता का इतिहास बता रही है।
जनता में अपनी विश्वसनीयत खो चुके टीवी चैनल अब राज दरबारी गीत अलाप रहे है।
लेकिन विपक्ष की बात करें तो आम आदमी पार्टी को बाकायदा प्रेस करके सीएम का नाम पूछ रही है। दिल्ली में भाजपा की सरकार को जनमत मिला है। यह भाजपा संगठन का निर्णय है कि वह किसको मुख्यमंत्री बनाए। भाजपा विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक दल है। भविष्य की राजनीति के दृष्टिगत दूरदर्शिता के साथ सीएम के नाम की घोषणा करेगी। ताकि जो भी मुख्यमंत्री बने वह दिल्ली की जनता की सेवा कर सके। भाजपा विधायक दल की बैठक में नामों की घोषणा कर देगी। तो फिर विपक्ष और मीडिया को परेशान होने की जरूरत नही है।