बदला तो खुलेंगी कई परतें, कई के राज होंगे उजागर
श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने प्रयागराज में भले ही स्वामी नित्यानंद को अखाड़े का आचार्य महामण्डलेश्वर बनाने की बात कही हो, किन्तु यह इतना आसान नहीं है। जितना की सोचा जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो कई कांड सामने आ सकते हैं।
श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने एक वीडियो में स्वामी नित्यानंद को अखाड़े का आचार्य महामण्डलेश्वर बनाने की बात कही है। यदि अखाड़ा चाहे तो कुछ भी कर सकता है। जैसे पूर्व में बिना किसी आरोप और आधार के स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज को बिना कोई कारण बताए और नोटिस दिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि इस मामले में अखाड़े की काफी छिछालेदार हुई थी, किन्तु वर्तमान में हालात पूर्व की भांति भिन्न हैं। यदि ऐसा होता है तो बवाल का होना भी तय है, किन्तु अखाड़ा जो चाहेगा होगा वही। क्यों कि अखाड़े के पास आचार्य को बाहर का रास्ता दिखाने के पर्याप्त कारण और आधार हैं। बावजूद इसके यदि ऐसा होता है तो कई रहस्यों से पर्दा उठना संभव है।
दूसरी बात यह की आचार्य बनाने की बात कहना और आचार्य बना देना दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। इन सबके बाद भी स्वामी नित्यांनद अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर नहीं बन सकते। कारण की स्वामी नित्यानंद देश से बाहर हैं। उन्होंने एक टापू जिसका नाम उन्होंने कैलाशा दिया है, का निर्माण कर अलग ही देश बसा लिया है। जब कोई व्यक्ति देश में आ ही नहीं सकता तो वह आचार्य मण्डलेश्वर कैसे बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक इतना जरूर है कि स्वामी नित्यानंद के अलावा भी किसी और की तलाश आचार्य महामण्डलेश्वर की लिए जारी है। देखना दिलचस्प होगा की नए आचार्य की ताजपोशी कब होती है। वैसे स्वामी नित्यानंद को आचार्य बनाने में एक अड़चन और आ सकती है। वह यह कि स्वामी नित्यानंद महानिर्वाणी अखाड़े के महामण्डलेश्वर हैं। उन्होंने अभी अखाड़े से त्यागपत्र नहीं दिया है। ऐसे में बिना अखाड़े की सहमति के दूसरे अखाड़े द्वारा आचार्य बनाना भी मौखिक सधि का उल्लंघन होगा।