गुरुतत्त्व वैश्विक मंच का गहन ध्यान अनुष्ठान पूर्णाहुति के साथ सम्पन्न
महाशिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों और साधकों के लिए असाधारण पर्व है। इस पर्व को आत्माओं का पर्व भी कहा जाता है, क्योंकि लोग आत्मिक स्तर पर जाकर इस पर्व को मनाते हैं। हिमालय योगी स्वामी शिवकृपानंद द्वारा प्रेरित हिमालयीन समर्पण ध्यानयोग के 45 दिनों के गहन ध्यान अनुष्ठान की पूर्णाहुति और महाशिवरात्रि पर्व का ऑनलाइन उत्सव मनाया गया। स्वामी शिवकृपानंद की गुजरात समर्पण आश्रम, महुडी आश्रम में चल रही गहन साधना अनुष्ठान महाशिवरात्रि पर संपन्न हुआ। विश्वभर के सभी समर्पण आश्रमों में भी साधकों ने सामूहिकता में यह पर्व मनाया। स्वामीजी के ऑनलाइन कार्यक्रम में जीवंत ऊर्जा का अनुभव कर रहे साधकों में इस कार्यक्रम को लेकर अत्यंत उत्साह था। 45 दिनों के बाद सभी साधक अपने सद्गुरुदेव के दर्शन करने और उनकी वाणी सुनने को उत्सुक थे।
स्वामी शिवकृपानंद ने ऑनलाइन प्रवचन में अनुष्ठान के बारे में कहा कि 45 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान की खास बात यह है कि यह अनुष्ठान सूक्ष्म स्तर पर होता है। सूक्ष्म स्तर पर गुरु अपने साधकों के संपर्क में रहते हैं, जिसका अनुभव हर साधक को होता है। स्वामी शिवकृपानंद ने अपने प्रवचन में कर्ममुक्त अवस्था, सामूहिक ध्यान, नियमित ध्यान, अपेक्षा रहित ध्यान, गुरुकार्य आदि विषयों पर ज्ञान प्रदान किया। ध्यान के संबंध में स्वामी शिवकृपानंद ने कहा कि आध्यात्मिक प्रगति के लिए सामूहिकता एवं नियमितता आवश्यक है। भूतकाल के बारे में स्वामी शिवकृपानंद ने कहा की जैसे कोई पुरानी घटना ध्यान में याद आ गयी तो वह चली जानी चाहिए, फिर से वह याद नहीं आनी चाहिए। जब तक भूतकाल क्लियर नहीं होता तब तक वर्तमान में नहीं आ सकते और जब तक वर्तमान में नहीं आते ध्यान नहीं लग सकता।
कई साधक सालों से ध्यान कर रहे हैं लेकिन ध्यान नहीं लगता। सबसे बड़ी समस्या है ध्यान में विचार आते हैं। फिर अरे ध्यान तो लगता नहीं, ऐसी गिल्टी फिलिंग की भावना से ध्यान छुट जाता है। ध्यान लगना चाहिए ये भी अपेक्षा है, ये भी अपेक्षा छोड़ दो। ध्यान लगे या ना लगे, ऐसी बिना अपेक्षा से अगर आप ध्यान करने बैठेंगे तो धीरे-धीरे शरीर को ध्यान की आदत लग जाएगी, धीरे-धीरे विचारों को आपकी आदत लग जाएगी, बुद्धि को आदत लग जाएगी। ये एक आदत है। काम भी नहीं करना है और विचार भी नहीं करना है, ऐसी आदत डालने की कोशिश कर रहे हो तो शरीर तो विरोध करेगा ही।
स्वामी शिवकृपानंद ने कहाकि आवश्यकता है नियमित ध्यान करने की और सेंटर पर जाकर ध्यान करने की। जब ध्यान की आवश्यकता बढ़ रही है तब ध्यान कम हो रहा है। दुनियाभर में कितनी अशांति फैली है, कितने युद्ध हो रहे हैं। ध्यान करने वालों लोगों की संख्या जैसे-जैसे विश्व में बढ़ेगी, वैसे-वैसे विश्व में शांति आएगी। विश्व की सामूहिकता क्या कह रही है उसका प्रभाव विश्व के ऊपर पड़ेगा ही। स्वामी शिवकृपानंद ने कहाकि अगर आप विश्व में शांति चाहते हैं, विश्व कल्याण चाहते हैं, तो जितने अधिक से अधिक ध्यान करने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी, ध्यान की स्थिति बढ़ेगी, वैसे-वैसे विश्व में शांति आएगी। कार्यक्रम के पश्चात् गुरुदेव के करकमलों से समर्पण आश्रम, दांडी में आत्मनिर्भर आश्रम योजना के अंतर्गत, सौर ऊर्जा परियोजना का वर्चुअल उद्घाटन किया गया।