आचार्य बालकृष्ण का नाम सुनते ही जहन में एक ऐसे विराट व्यक्तित्व का चेहरा उभर कर सामने आता है जो विनम्र है, विद्वान है, आयुर्वेद और राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून लिए हुए हैं। और जो निष्कलंक, छल कपट से दूर, अहंकार रहित एक ऐसा महान व्यक्तित्व है जो आयुर्वेद के एक सिद्ध ऋषि की तरह पूरे आयुर्वेद को अपने गौरवशाली अतीत की ओर फिर से पुनर्स्थापित करने में लगे हैं। भारत में ही नहीं पूरे विश्व में अपने विनम्र स्वभाव और आम जन पहुंच रखने वाले आचार्य बालकृष्ण को यदि आयुर्वेद का जननायक कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यदि उन्हें हम पतंजलि योगपीठ का विश्वकर्मा कहे हैं तो यह उनके लिए एक सही आकलन है। आज आपको पतंजलि योगपीठ का जो विराट रूप देखने को मिल रहा है उसमें आयुर्वेद ऋषि आचार्य बालकृष्ण का उतना ही योगदान है जितना योग ऋषि स्वामी रामदेव का योगदान है। पतंजलि योगपीठ को इस ऊंचाई पर ले जाने वाली इस ऐतिहासिक यात्रा के महानायकों में आचार्य बालकृष्ण का ऐतिहासिक योगदान है।
आचार्य श्री ने आयुर्वेद को विश्व पटल पर वैज्ञानिक मान्यता दिलाने और विश्व में आयुर्वेद का डंका बजाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देवभूमि हरिद्वार में माता सुमित्रा देवी और पिता जय बल्लभ के घर पर 4 अगस्त 1972 को एक ऐसे अद्भुत बालक का जन्म हुआ जिसके तप बल पर पतंजलि योगपीठ की नींव पड़ी, जहां स्वामी रामदेव ने योग को जन जन तक पहुंचाया वहीं दूसरी ओर आचार्य बालकृष्ण ने दिव्या योग फार्मेसी की नींव रखकर आयुर्वेद को पूरे विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान दिलवाई और हर वैज्ञानिक शोध में आयुर्वेद को शत प्रतिशत खरा उतरने में मेहती भूमिका निभाई। इसलिए उन्हें आयुर्वेद ऋषि की संज्ञा देना उपयुक्त है। वैसे तो आचार्य बालकृष्ण अपने महान व्यक्तित्व के कारण किसी पद या उपाधि के मोहताज नहीं है। आज उनका व्यक्तित्व और कद इतना विराट हो चुका है कि कि वे किसी पद या उपाधि से बहुत ऊपर उठ चुके हैं। यदि उन्हें किसी पद पर सम्मानित किया जाता है यह उपाधि से नवाजा जाता है तो यह पद और उपाधि उनके महान विराट व्यक्तित्व के कारण स्वयं ही आभावान और शोभायवान हो जाते हैं। आचार्य बालकृष्ण सेल्फ मेड हैं। राष्ट्र की सेवा में आचार्य बालकृष्ण का कितना बड़ा योगदान है कि वे भारत और नेपाल के बीच सेतु का कार्य कर रहे हैं। भारत और नेपाल के संबंधों को सुदृढ़ बनाने में आचार्य श्री की महती भूमिका है। वह बौद्धिकता की चलती फिरती प्रयोगशाला है।
अभी हाल में यूएसए की विश्वविख्यात स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की जारी विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण को शामिल किया गया है।
आचार्य बालकृष्ण को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और एल्सेवियर द्वारा विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची में शामिल किया गया है। यह मान्यता आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में उनके काम को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ जोड़ा है।
इससे पूर्व भी यूएनओ की संस्था (यूएनएसडीजी) आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित कर चुकी है। 2019 में आचार्य बालकृष्ण को संयुक्त राष्ट्र संघ ने सम्मानित किया था | उनको आयुर्वेद, योग के क्षेत्र में नए अनुसंधान को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान देने के लिए सम्मान मिला था।
आचार्य बालकृष्ण का व्यक्तित्व बहुआयामी हैं। जहां वे आयुर्वेद के शोध कार्य के लिए समर्पित है वहीं पतंजलि योगपीठ हरिद्वार जैसी संस्था को खूबसूरत बनाने में विश्वकर्मा की भूमिका के रूप में सामने आते हैं और वहीं वे दूसरी ओर जन सरोकारों से जुड़े रहते हैं और सर्व सुलभ है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आचार्य बालकृष्ण को कभी भी तनाव में नहीं देखा जाता है। और वह हर परिस्थिति का मुकाबला बड़े ही सहज और मनोभाव से करते हैं और एक चमकते हुए सोने की तरह उभर कर सामने आते हैं। पहाड़ों में जड़ी बूटियां की खोज करना और फिर उन्हें अपनी पुस्तकों में विशिष्ट स्थान देना उनकी एक बहुत बड़ी खूबी है। या यूं कहें उनका एक बहुत बड़ा जुनून है।
पिछले कुछ सालों पहले हिमालय की कंदराओं में जड़ी बूटियों की खोज में निकले आयुर्वेद ऋषि आचार्य बालकृष्ण ने हिमालय की अनाम चोटियों का आरोहण करने का संकल्प लिया और उसे संकल्प को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।आचार्य बालकृष्ण ने हिमालय के गंगोत्री रेंज की तीन अनाम चोटियों का सफलतापूर्वक आरोहण कर उनका नामकरण भी किया। इनमें सबसे ऊंची चोटी का नाम राष्ट्रऋषि, दूसरी चोटी का नाम योगऋषि और तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद ऋषि रखा। इन तीनों चोटियों के मध्य के क्षेत्र का नाम ऋषि ग्लेशियर (ऋषि बामक) रखा है। इस तरह हिमालय के आरोहण के इस अनोखे अभियान में आचार्य बालकृष्ण ने राष्ट्र, योग और आयुर्वेद की त्रिवेणी का जो संगम विश्व के सामने प्रस्तुत किया वह अद्भुत,ऐतिहासिक और अनोखा है। इससे साफ झलकता है कि आचार्य बालकृष्ण की सोच और उनका कर्म हमेशा राष्ट्र, योग और आयुर्वेद को समर्पित है।
उन्होंने संस्कृत में आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों के ज्ञान में निपुणता प्राप्त की और इसका प्रचार-प्रसार का कार्य करते रहते हैं। इसीलिए हर साल 4 अगस्त को उनका जन्म दिवस पतंजलि ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया हैं। आचार्य बालकृष्ण ने 2006 में योगऋषि स्वामी रामदेव के साथ मिलकर ‘पतंजलि योगपीठ की स्थापना कर योग और आयुर्वेद की पारंपरिक पद्धति को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। आचार्य बालकृष्ण ने आयुर्वेदिक औषधियों से सम्बंधित कई पुस्तकें भी लिखी है। आयुर्वेदिक शिक्षा को विस्तृत रूप देने के लिए आचार्य बालकृष्ण ने स्वामी रामदेव के साथ मिलकर पतंजलि विश्वविद्यालय, आचार्यकुलम और गुरुकुलम की स्थापना की।
बालकृष्ण ने आयुर्वेद से संबंधित कुछ पुस्तकों की भी रचना की हैं, उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों में
वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया के 111 वॉल्यूम्स,
फ़्लोरा ऑफ़ राष्ट्रपति भवन,मेडिसिनल प्लांट ऑफ़ राष्ट्रपति भवन ,फ़्लोरा ऑफ़ सिजुसा-अरुणाचल प्रदेश,मन के मनके भाग-2,भोजन कौतुहलम् ,
आयुर्वेद महोदधि,अजीर्णामृत मंजरी,विचार क्रांति (नेपाली ग्रंथ) आदि महत्वपूर्ण पुस्तकें बहुत चर्चित और बहुआयामी है।
आचार्य बालकृष्ण ने शोध के क्षेत्र में भी अपना अहम योगदान दिया है।वे अब तक 400 से ज्यादा पुस्तक और शोध पत्र लिख चुके हैं। सभी शोधपत्र योग, आयुर्वेद और दवाइयों से संबन्धित हैं। उन्होंने विभिन्न विद्यालयों के परिसर में मिलने वाले खाद्य पदार्थों के संबंध में अध्ययन किया और इनकी विश्वसनीयता जानने के लिए प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण भी किया है।आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ आचार्य बालकृष्ण योग के प्रति भी लोगों को जागरूक बनाने का कार्य कर रहे हैं। आचार्य श्री आयुर्वेद की दिशा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, उनके द्वारा बताए जाने वाले छोटे-छोटे घरेलू नुस्खों से लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है। आचार्य बालकृष्ण इस समय लेखन और शोध के साथ-साथ विभिन्न पदों पर आसीन होकर अपने शैक्षिक और सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी समर्पित भाव और सफलता के साथ कर रहे हैं। वह इस समय
कुलपति,पतंजलि विश्वविद्यालय,महासचिव,पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट,महासचिव, पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन,
महासचिव, पतंजलि ग्रामोध्योग ट्रस्ट,अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, पतंजलि आयुर्वेद, हरिद्वार,
मुख्य संपादक योग संदेश,प्रबंध निदेशक, पतंजलि बायो अनुसंधान संस्थान,प्रबंध निदेशक, वैदिक ब्रॉड कास्टिंग लिमिटेड,पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के प्रबंध निदेशक आदि पदों पर विराजमान होकर राष्ट्र सेवा में लगे हैं।
आचार्य श्री को योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रशंसापत्र, प्रमाण पत्र व अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।आचार्य बालकृष्ण को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में आयुर्वेद एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण के लिए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमित सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
आचार्य श्री को यूएनओ की संस्था यूएनएसडीजी (यूनाइटेड नेशंस सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल) ने विश्व के 10 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल कर उन्हें जेनेवा में यूएनएसडीजी हेल्थकेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया,योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए एस-व्यासा डीम्ड यूनिवर्सिटी स्वामी विवेकानन्द योग अनुसंधान संस्थान द्वारा आचार्य श्री को “डॉक्टर ऑफ लेटर (योग) (मानद उपाधि)” से सम्मानित किया गया।योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने में उनके योगदान के लिए आचार्य बालकृष्ण को 1 अगस्त 2017 को तिलक स्मारक ट्रस्ट द्वारा “लोकमान्य तिलक पुरस्कार 2017” से सम्मानित किया गया।आयुर्वेद के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए आचार्य बालकृष्ण जी को 22 मार्च 2016 को “ब्लूमबर्ग स्पेशल रिकॉग्निशन अवार्ड” से सम्मानित किया गया।इंडियन इंटरनेशनल फ्रेंडशिप सोसाइटी, द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके अद्भुत काम के लिए हरियाणा और पंजाब राज्यपाल ने आचार्य बालकृष्ण को “भारत गौरव” पुरस्कार से सम्मानित किया। 2012 में योग और औषधीय पौधों के क्षेत्र में शानदार योगदान के लिए श्री वीरंजनया फाउंडेशन द्वारा “सुजाना श्री ‘पुरस्कार प्रदान किया गया।अक्टूबर 2007 में नेपाल के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कैबिनेट मंत्रियों की उपस्थिति में योग, आयुर्वेद, संस्कृति और हिमालयी जड़ी बूटी के छिपे ज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए उनके योगदान के लिए सम्मान प्रदान किया गया।
23 अक्टूबर 2004 को एक योग शिविर के दौरान राष्ट्रपति भवन में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम के द्वारा सम्मान दिया गया।
कर्मयोगी आचार्य बालकृष्ण अब उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के मला गांव में एक नए केंद्र को राष्ट्र को समर्पित करने कार्य में लगे हैं। 19 अक्टूबर को धनवंतरी जयंती के दिन इस अद्भुत केंद्र को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा।धन्वंतरि जयंती के अवसर पर श्री धन्वंतरी धाम हर्बल वर्ल्ड हिमालय मलाग्राम, यम्केश्वर ब्लॉक, पौडी गढ़वाल में आचार्य बालकृष्ण और स्वामी रामदेव के पावन सानिध्य में प्रथम धनवंतरी महोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है।