महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की ससुराल कनखल स्थित श्री तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर से शिव बारात का आयोजन किया गया। शिव बारात में पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिली। नगर के मुख्य मार्गों से आरम्भ हुई शिव बारात शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई वापस मंदिर प्रागंण पहुंचकर सम्पन्न हुई। शिव बारात में भगवान शिव के गणों की झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही।
शिव बारात का शुभारम्भ मंदिर के श्रीमहंत त्रिवेणी दास महाराज ने विधिवत पूजा-अर्चना के साथ किया। शोभा यात्रा के दौरान कई पारंपरिक झांकियां निकाली गईं, जिसमें भगवान शिव के गणों की झांकी विशेष आकर्षण का केन्द्र रही। भगवान शिव की बारात में भूत, प्रेत, पिशाच आदि शमिल हुए। शिव बारात का जगह-जगह लोगों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
इस अवसर पर अपना आशीर्वचन देते हुए मंदिर के श्रीमहंत त्रिवेणी दास महाराज ने कहा कि सदियों पूर्व भगवान शिव की बारात इसी कनखल नगरी में राजा दक्ष के यहां आई थी। शिवरात्रि भगवान के मंगल विवाह का दिन है। इसी लिए प्रतिवर्ष मंदिर की ओर से शिव बारात का आयोजन किया जाता है।
मंदिर में चल रहे विश्व शांति महायज्ञ के दूसरे दिन की पूजा-अर्चना आरम्भ की गई। श्रीमहंत त्रिवेणी दास महाराज ने बताया कि गुरुवार को विश्वशांति यज्ञ की पूर्णाहुति की जाएगी। इस दौरान प्रातः गणेश पूजन, भगवान शिव का विशेष श्रृंगार व अभिषेक किया जाएगा। संत सममेलन व विशाल भण्डारे का साथ यज्ञ की पूर्णाहुति होगी।