“मधुरिमा संगीत विद्यालय के बैनर तले परीक्षा हुई संपन।’

क्लासिकल नृत्य सिख रहे विद्यार्थियों की त्रिपुरा मंदिर में मधुरिमा संगीत विद्यालय के बैनर तले परीक्षा कराई गई। यह परीक्षा संगीत गुरु भट्ट सर और क्लासिकल नृत्य की दिग्गज गुरु माता दीपमाला शर्मा के संरक्षक मे संपन कराई गयी। नृत्य की परीक्षा को संपन कराने के लिए आगरा से आए संगीत गुरु परीक्षक के रूप में वीरेंद्र सिंह और करण प्रताप भी मौजूद रहे। इस परीक्षा में परीक्षार्थी के रूप में 500 विद्यार्थी सम्मिलित रहे। यह परीक्षा 3 दिन तक चली। सभी परीक्षार्थी ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर अपने गुरुओं व बाहर से आए परीक्षकों का दिल जीत लिया।


परीक्षा के समापन के पश्चात भट्ट सर और परीक्षक के रूप में आय गुरुजन ने बच्चो को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देकर उनका मनोबल बढ़ाया। और इसी के साथ वहां पर उपस्थित गुरु माता के रूप में मौजूद रही दीप माला शर्मा ने भट्ट सर और बाहर से परीक्षकों का आभार प्रकट किया और बच्चो को आशीर्वाद के रूप में उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामना देते विधार्थियों को ऊंचाइयों की बुलंदियों तक पहुंचाने में हर पल उनका साथ देने का वादा किया। दीपमाला शर्मा क्लासिकल नृत्य की दिग्गज गुरु होने के साथ साथ डी.ए.वी पब्लिक स्कूल हरिद्वार में अध्यापक के रूप में कार्यरत भी है।
संगीत कला की सबसे खूबसूरत कृतियों में से एक है। इसमें अपने सुखदायक प्रभाव से हमारे मन, शरीर और आत्मा को ठीक करने की शक्ति है। अलग-अलग लोगों का संगीत में अलग-अलग स्वाद होता है और यह उनके लिए एक थेरेपी के रूप में काम करता है। संगीत खुद को अभिव्यक्त करने में सहायता करता है। यह अवसाद, अल्जाइमर और अनिद्रा जैसी स्थितियों को ठीक करने में मदद कर सकता है। यह हमें तरोताजा करने और खुद के साथ-साथ अपने आस-पास के लोगों से जुड़ने में भी मदद करता है।
भारतीय संगीत प्राचीन काल से भारत मे सुना और विकसित होता संगीत है। इस संगीत का प्रारंभ वैदिक काल से भी पूर्व का है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिंदु परंपरा मे ऐसा मानना है कि ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान में दिया था।
भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति वेदों से मानी जाती है।
भारतीय शास्त्रीय संगीत को पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा जटिल व संपूर्ण संगीत प्रणाली माना जाता है।

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